भूतहा कमरा
Richard war von seinem Freund eingeladen worden, das Wochenende in dessen Landhaus zu verbringen. Als er am Sonnabend nachmittag ankam, waren schon viele Gäste da. Abends, nach dem Essen, saß man vergnügt zusammen, man trank sehr viel, und nicht nur Tee und Limonade.
रिचर्ड को उसके दोस्त ने वीकेंड पर अपने फार्महाउस पर आने का निमंत्रण दिया। जब वह शनिवार की शाम वहाँ पहुंचा तो वहाँ पहले से ही काफी मेहमान मौजूद थे। शाम का समय था, खाने के बाद सब लोग साथ बैठे मस्ती कर रहे थे, इसी बीच पीना भी चल रहा था, मतलब चाय और नींबूपानी के अलावा भी।
Gegen Ende des Festes kam Richards Freund und sagte:
पार्टी ख़त्म होने को थी कि तभी रिचर्ड का दोस्त उसके पास आया और कहने लगा:
“Mein lieber Richard, du musst leider im Gespensterzimmer schlafen. Alle anderen Zimmer sind belegt.”
“मेरे प्यारे दोस्त रिचर्ड ,आज तुम्हे भूतहा कमरे में सोना पड़ेगा, क्योंकि बाकी सब कमरे भर चुके हैं।”
“O Richard”, riefen die Damen, “haben Sie denn gar keine Angst? Sie wissen doch, in diesem Zimmer geht die alte Tante um, die vor dreißig Jahren dort Selbstmord verübt hat.”
“ओ रिचर्ड”, महिलाओं ने छेड़ते हुए कहा, “क्या आपको डर नहीं लग रहा? आपको तो पता होगा, उस कमरे में एक बूढ़ी औरत की आत्मा है, जिसने तीस साल पहले वहाँ आत्महत्या कर ली थी।”
“Ach, Unsinn, woher weiß man denn das? Und was ist schon dabei! Außerdem hat das Zimmer eine wunderbare Aussicht. Auch glaube ich nicht an Märchen, und schon gar nicht an Gespenster. Gute Nacht, meine Damen, ich wünsche nur, dass Sie so gut schlafen wie ich!”
“हट, सब बकवास है, और तुम्हे कैसे पता? और अगर है भी तो क्या! बल्कि उस कमरे से तो नज़ारा भी बढ़िया दिखता है। वैसे भी मुझे कहानियों में विश्वास नही है, और भूत प्रेत में तो बिलकुल नहीं। तो, शुभ रात्रि, देवियों, मैं यही उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को भी मेरी तरह अच्छी नींद आए!”
Eine Viertelstunde später liegt Richard in seinem Schlafanzug im Bett. Er ist aber doch ein bisschen unruhig; seinen Revolver hat er auf den Nachttisch gelegt, auch das Licht lässt er brennen.
पंद्रह मिनट बाद रिचर्ड अपना नाईट सूट पहन कर पलंग पर लेट गया। पर उसका मन हल्का बेचैन हो रहा था, इसीलिए उसने अपनी रिवाल्वर निकाल कर बगल वाली मेज़ पर रख दी और साथ ही बत्ती को भी जलता रहने दिया।
Im Halbschlaf sieht er plötzlich fünf kleine schwarze Finger, die sich langsam am Fußende des Bettes bewegen……
नींद आने को ही थी कि अचानक उसे पांच छोटी उंगलियाँ दिखी, वे पलंग के दूसरे छोर पर धीरे-धीरे हिल रही थी.....
Er macht die Augen weit auf, er macht sie wieder zu, dann öffnet er sie wieder…. Die fünf kleinen schwarzen Finger sind immer noch da…. er täuscht sich nicht…. jetzt sind es sogar zehn geworden!
उसने झटक कर अपनी आँखें खोली, फिर बंद की, और फिर खोली.... वे पांच छोटी उंगलियाँ अभी भी वहीँ थी.... उसे कोई धोखा नही हुआ था.... बल्कि अब तो उंगलियाँ दस हो गयी थी!
Richard stützt sich auf. “Lassen Sie das!” sagt er kalt. “Zeigen Sie Ihr Gesicht, oder ich schieße!” Und er greift langsam nach seinem Revolver.
रिचर्ड ने खुद को सँभालते हुए घबराहट में कहा “कौन है वहाँ, मत करो। सामने आओ वरना मैं गोली चला दूंगा !” और यह कहते ही उसने धीरे से रिवाल्वर अपने हाथ में उठा ली।
Die Finger bewegen sich, aber es zeigt sich kein Gesicht. Er hört auch kein Geräusch. Da wird ihm die Sache zu dumm.
उंगलियाँ तो अब भी हिल रही थी, पर कोई चेहरा नज़र नही आ रहा था। ना ही किसी प्रकार का कोई शोर था। अब तो उसका सब्र खो रहा था !
“Ich sage es nicht noch einmal!” ruft Richard. “Ich zähle bis drei, dann schieße ich!” Und er beginnt zu zählen.
“मैं दोबारा नहीं बोलूँगा” रिचर्ड चिल्लाया। “सिर्फ तीन तक गिनूंगा और फिर गोली चला दूंगा !” यह कहते ही उसने गिनना शुरू कर दिया।
Die kleinen schwarzen Hände bleiben ganz still und bewegen sich nicht.
छोटी काली उँगलियों ने अचानक हिलना बंद कर दिया था।
“Stehen Sie auf, oder ich schieße!” schreit Richard.
“ऊपर उठो वरना मैं गोली चला दूंगा”, रिचर्ड ने चिल्ला कर कहा।
Die zehn kleinen Finger beginnen zu zittern. “Eins!” ruft Richard und macht dann eine kleine Pause. “Zwei….. drei!” Und er schießt wirklich.
दसों उंगलियाँ अब कांपने लगी थी. “एक!” रिचर्ड बोला और फिर थोड़ा रुक कर, “दो....तीन!” और उसने सच में गोली चला दी।
Am nächsten Morgen hinkte Richard auf dem linken Bein.
अगली सुबह वह लंगड़ा कर चल रहा था।
Glossary
This story is taken with kind permission of Dr. Jyoti Sharama from the book: हान्स योआखिम आर्नड्ट. डॉ. ज्योति शर्मा (अनुवादिका), चारु वालियां (सहअनुवादिका). Spannende कहानियाँ , आचार्या जर्मन विभाग, कला संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, 2021. ISBN 81-85305-40-6
Courtesy: Dr. Jyoti Sharma, BHU, Varanasi