बालक

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बालक

प्रेमचंद

Premchand (1880--1936)

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Das Kind

Translated by : Vridhagiri Ganeshan

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गंगू को लोग ब्राह्मण कहते हैं और वह अपने को ब्राह्मण समझता भी है। मेरे नौकर और खिदमतगार मुझे दूर से सलाम करते हैं। गंगू मुझे कभी सलाम नहीं करता। वह शायद मुझसे पालागन की आशा रखता है। मीरा झूठा ग्लास कभी हाथ से नहीं छूटा और न मेरी कभी इतनी हिम्मत हुई कि उससे पंखा झलने को कहूँ। जब मैं पसीने से तर होता हूँ और वहाँ कोई दूसरा आदमी नहीं होता, तो गंगू आप- ही- आप पंखा उठा लेता है; लेकिन उसकी मुद्रा से यह भाव स्पष्ट प्रकट होता है कि मुझ पर कोई एहसान कर रहा है और मैं भी ना- जानें क्यों फौरन ही उसके हाथ से पंखा छीन लेता हूँ। उग्र स्वभाव का मनुष्य है। किसी की बात नहीं कह सकता। ऐसे बहुत कम आदमी होंगे, जिनसे उसकी मित्रता हो; पर नौकर और खिदमतगार के साथ बैठना शायद वह अपमानजनक समझता है। मैने उसे किसी से मिलते जुलते नहीं देखा। आश्चर्य यह है कि उसे भंग- बूटी से प्रेम नहीं, जो इस श्रेणी की मनुष्यों में एक असाधारण गुण है। मैने उसे कभी पूजा पाट करते या नदी में स्नान करते नहीं देखा। बिलकुल निर्जर है; लेकिन फिर भी वह ब्राह्मण हैं और चाहता है कि दुनिया उसकी प्रतिष्ठा तथा सेवा करें और क्यों न चाहें? जब पुरखों की पैदा की हुई संपत्ति पर आज भी लोग अधिकार जमाए हुए हैं और उसी शान से, मानो खुद पैदा किए हो, तो वहाँ क्यों इस प्रतिष्ठा और सम्मान को त्याग दें, जो उसकी पुरखों ने संचय किया था? यहाँ उसकी बपौती है।

Alle Leute bezeichnen Gangu als Brahmanen. Er hält sich selbst für einen Brahmanen. Meine Freunde und meine Diener verneigen sich vor mir. Gangu verneigt sich niemals vor mir. Vielleicht erwartet er, dass ich mich vor ihm verneige. Er rührt niemals das Glas an, das ich gebraucht habe. Ich habe niemals den Mut gehabt, von ihm zu verlangen, dass er mir fächelt. Aber wenn das Wetter heiß ist und ich von Schweiß triefe und niemand sonst da ist, nimmt Gangu von selbst einen Fächer zur Hand. Aber seine Haltung ist dann so, als ob er mir eine Gefälligkeit erweise. Dann reiße ich ihm den Fächer aus der Hand. Er ist jähzornig, und er kann es nicht ertragen, dass man über ihn spricht. Er hat sehr wenige Freunde. Er erachtet es unter seiner Würde, mit den Dienern zusammen zu sitzen. Niemals habe ich gesehen, dass er mit jemandem freundlich tat. Er betet niemals, und nie geht er in den Fluss zu baden. Am erstaunlichsten ist, dass er Bhang nicht mag, ein weitverbreitetes Laster von Menschen seiner Klasse. Er ist ganz ungebildet. Trotzdem erwartet er alle Achtung, die einem Brahmanen zusteht. Warum auch nicht? Wenn die Leute stolz sind, weil ihnen Reichtum von ihren Vorfahren hinterlassen wurde, warum soll Gangu nicht gleichfalls Achtung wegen seiner Abstammung erwarten ? Das ist sein einziger Besitz.

मेरा स्वभाव कुछ इस तरह का है कि मैं अपने नौकर से बहुत कम बोलता हूँ। मैं चाहता हूँ, जब तक मैं खुद ना पुकारूँ, कोई मेरे पास ना आए। मुझे यह अच्छा नहीं लगता कि ज़रा सी बातों के लिए नौकरों को आवाज देता रहूँ। मुझे अपने हाथ से सुराही से पानी उड़ेल लेना, अपना लैंप जला लेना, अपने जूते पहन लेना या अलमारी से कोई किताब निकाल लेना, इससे कहीं ज्यादा सरल मालूम होता है कि हिंगन और मैकू को पुकारूँ। इससे मुझे अपनी सुरक्षा और आत्मविश्वास का बोध होता है। नौकर भी मेरे स्वभाव से परिचित हो गए हैं और बिना जरूरत मेरे पास बहुत कम आते हैं। इसलिए एक दिन जब प्रात काल गंगू मेरे सामने आकर खड़ा हो गया तो मुझे बहुत बुरा लगा। ये लोग जब आते हैं, तो पेशगी हिसाब में कुछ मांगने के लिए या किसी दूसरे नौकर की शिकायत करने के लिए। मुझे ये दोनों ही बातें अत्यंत अप्रिय है। मैं पहली तारीख को हरेक का वेतन चुका देता हूँ और बीच में जब कोई कुछ मांगता है, तो क्रोध आ जाता है; कौन दो- दो, चार- चार रुपयों का हिसाब रखता फिरे। फिर जब किसी को महीने भर की पूरी मजदूरी मिल गई, तो उसे क्या हक है कि उसे 15 दिन में खर्चकरदे और ऋण यह पेशगी की शरण लें, और शिकायतों से तो मुझे घृणा है। मैं शिकायतों को दुर्बलता का प्रमाण समझता हूँ या ठकुरसुहाती की क्षुद्र चेष्टा।

Ich spreche mit meinem Dienern sehr wenig. Ich habe meinen Diener befohlen, nicht in meine Abgeschiedenheit einzudringen, es sei denn, ich habe sie gerufen. Ich ziehe es vor, kleine Dinge selbst zu tun, wie ein Glas Wasser zu holen, die Schuhe anzuziehen, die Lampe anzuzünden oder ein Buch aus dem Regal zu nehmen. Das ist mir angenehmer, als die Diener zu rufen. Das gibt mir das Gefühl von Unabhängigkeit und Selbstvertrauen. Die Diener stören mich selten, weil sie nun meine Gewohnheit kennen. Darum fühlte ich mich belästigt, als Gangu eines Morgens kam, obwohl ich ihn nicht gerufen hatte. Wenn diese Diener kommen, wollen sie entweder einen Vorschuss auf ihr Gehalt oder sich über einen anderen Diener beklagen. Beides betrachte ich als lästig. Weil ich sie sehr regelmäßig am ersten des Monats bezahle, sehe ich keinen Grund, warum sie mit ihrem Monatslohn schon in vierzehn Tagen zu Ende sind. Verleumden und sich beklagen halte ich für eine Form von Schwäche und unwürdig.

मैने माथा सिकोड़ कर कहा– क्या बात है, मैने तो तुम्हें बुलाया नहीं?

Ich fragte Gangu gereizt, warum er gekommen sei.

गंगू के तीखे अभिमानी मुख पर आज कुछ ऐसी नम्रता, कुछ ऐसी याचना, कुछ ऐसा संकोच था कि मैं चकित हो गया।

Ich war überrascht, heute in Gangus Gesicht einen Ausdruck von Demut und Schüchternheit zu finden.

ऐसा जान पड़ा वह कुछ जवाब देना चाहता है; मगर शब्द नहीं मिल रहे हैं।

Ich hatte den Eindruck, dass er etwas sagen wollte. Aber trotz seiner Bemühungen fand er keine Worte.

मैने ज़रा नम्र होकर कहा- आखिर क्या बात है, कहते क्यों नहीं? तुम जानते हो, यह मेरे टहलने का समय है। मुझे देर हो रही है।

Nach einer Weile fragte ich freundlicher: “Was ist los? Warum sprichst du nicht? Du weisst, dass ich um diese Zeit einen Spaziergang mache, und es ist schon spät.”

गंगू ने निराशा भरे स्वर में कहा- तो आप हवा खाने जाए, मैं फिर आ जाऊंगा।

Gangu entgegnete enttäuscht und zögernd: “Gut, gehen Sie jetzt, bitte. Ich werde ein andermal kommen.”

यह अवस्था और भी चिंताजनक थी। इस जल्दी में तो वह एक क्षण में अपना वृतांत कह सुनाएगा। वह जानता है कि मुझे ज्यादा अवकाश नहीं है। दूसरे अवसर पर तो दुष्ट घंटों रोएगा। मेरे कुछ लिखने-पढ़ने को तो वह शायद कुछ काम समझता हो; लेकिन विचार को, जो मेरे लिए सबसे कठिन साधना है, वह मेरे विश्राम का समय समझता है। वह उसी वक्त आकर मेरे सिर पर सवार हो जाएगा।

Das war noch ärger. Nun, weil ich in Eile war, hätte Gangu seine Geschichte kurz gemacht. Wenn er jedoch später kam und meinte, ich habe dann Zeit, würde er mich stundenlang aufhalten. Er glaubt, ich sei nur beschäftigt, wenn ich lese oder schreibe. Wenn er mich jedoch allein in einer nachdenklichen Stimmungantrifft, meint er, dass ich faulenze.

निर्दयता के साथ कहा- क्या कुछ पेशगी मांगने आए हो? मैं पेशगी नहीं देता।

Ich wollte ihn gleich jetzt loswerden und sagte ohne Mitleid: “Wenn du wegen Vorschuss gekommen bist, dann kannst du versichert sein, dass du keinen bekommst.”

‘ जी नहीं सरकार, मैने तो कभी पेशगी नहीं मांगा।‘

“Ich will keinen Vorschuss haben,” sagte er, “ich habe niemals einen verlangt."

‘ तो क्या किसी की शिकायत करना चाहते हो? मुझे शिकायतों से घृणा है।‘

“ Dann willst du dich über jemanden beklagen? ” sagte ich, “ du weißt, wie ich Verleumdungen hasse.”

‘ जी नहीं सरकार, मैने तो कभी किसी की शिकायत नहीं की।‘

“Nein, ich habe mich niemals über irgendeinen andern beklagt,” sagte Gangu.

गंगू ने अपना दिल मजबूत किया। उसकी आकृति से स्पष्ट झलक रहा था, मानो वहाँ कोई छलांग मारने के लिए अपनी सारी शक्तियों को एकत्र कर रहा हो। और लड़खड़ाती हुई आवाज में बोला- मुझे आप छुट्टी दे दे। मैं आपकी नौकरी अब न कर सकूंगा।

Ich fragte ungeduldig: “Was kommst du dann und störst mich? ” Gangu machte einen weiteren Versuch, sein Geheimnis zu enthüllen. Ich konnte es von seinem Gesicht ablesen, dass er versuchte, all seinen Mut zusammenzunehmen. Schließlich sagte er: “ Ich möchte meiner Pflichten entbunden werden. Ich kann nicht mehr Ihr Diener sein."

यहाँ इस तरह का पहला प्रस्ताव था, जो मेरे कानों में पड़ा। मेरेआत्म अभिमान को चोट लगी। मै जब अपने को मनुष्यता का पुतला समझता हूँ, अपने नौकरों से कभी कटु वचन नहीं कहता, अपने स्वामित्व को यथासाध्य म्यान में रखने की चेष्टा करता हूँ, तब मैं इस प्रस्ताव पर क्यों न विस्मित हो जाता; कठोर स्वर में बोला- क्यों, क्या शिकायत है?

Dies war die erste Bitte dieser Art, und ich fühlte mich verletzt. Ich betrachte mich als ein Muster an Menschlichkeit, schimpfe nicht mit meinen Dienern und versuche, mich immer zu beherrschen. Wie sollte ich nicht betroffen sein, dass ein Diener mir kündigt ? “ Warum willst du gehen ? ” erkundigte ich mich.

‘ आपने तो हुज़ूर, जैसा अच्छा स्वभाव पाया है, वैसा क्या कोई पाएगा; लेकिन बात ऐसी आ पड़ी है कि अब मैं आपके यहाँ नहीं रह सकता। ऐसा न हो कि पीछे से कोई बात हो जाए, तो आपकी बदनामी हो। मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से आपकी आबरू में बट्टा लगे।‘

“ Sie sind die Verkörperung von Güte. Aber ich bin in einer Lage, dass ich nicht bei Ihnen bleiben kann. Ich will nicht, dass meinetwegen die Leute mit Fingern auf Sie zeigen,” sagte Gangu.

मेरे दिल में उलझन पैदा हुई। जिज्ञासा की अग्नि प्रचंड हो गई। आत्म समर्पण के भाव से बरामदे में पड़ी हुई कुर्सी पर बैठकर बोला- तुम तो पहेलियाँ पड़वा रहे हो। साफ साफ क्यों नहीं कहते, क्या मामला है?

Dies war äußerst aufregend. Ich vergaß meinen Morgenspaziergang, nahm Platz und sagte: “Warum sprichst du in Rätseln? Sag klar, was du auf dem Herzen hast!”

गंगू ने बड़ी विनम्रता से कहा- बात यह है कि वह स्त्री, जो अभी विधवा आश्रम से निकाल दी गई है, वह गोमती देवी….. वह चुप हो गया।

Gangu erwiderte zögernd : “Die Sache ist, diese Frau, die gerade aus dem Witwenheim fortgeschickt worden ist, diese Gomathi Devi......" Er verstummte.

मैने अधीर होकर कहा- हाँ, निकाल दी गई है, तो फिर? तुम्हारी नौकरी से उसका क्या संबंध?

Ungeduldig fragte ich: “Was hat sie mit deiner Arbeit zu tun?”

गंगू ने जैसे अपने सिर का भारी बोझ जमीन पर पटक दिया। ‘ मैं उससे विवाह करना चाहता हूँ बाबूजी;’

“ Ich möchte sie heiraten”, sagte Gangu, als entledigte er sich mit diesem Geständnis einer großen Last.

मैं विस्मय से उसका मुँह ताकने लगा। वह पुराने विचारों का पोंगा ब्राह्मण जिसे नई सभ्यता की हवा तक न लगी, उस कुलटा से विवाह करने जा रहा है, जिसे कोई भला आदमी अपने घर में कदम भी ना रखने देगा। गोमती ने मोहल्ले के शांत वातावरण में थोड़ी सी हलचल पैदा कर दी। कई साल पहले वह विधवा आश्रम में आई थी। तीन बार आश्रम के कर्मचारियों ने उसका विवाह करा दिया था, पर हर बार वह महीने 15 दिन के बाद भाग आती थी।

Ich starrte ihn fassungslos an. Wie hatte sich dieser altväterliche Brahmane, der von der modernen Zivilisation noch nicht berührt schien, dazu entschließen können, eine Frau zu heiraten, die kein Mensch mit Selbstachtung in der Nähe seines Hauses dulden wird ? Gomathi hatte in der beschaulichen Atmosphäre unsres Mohalla eine gewaltige Aufregung ausgelöst. Sie war vor einigen Jahren ins Witwenheim gezogen. Die Heimleitung hatte sie dreimal verheiratet, aber jedes Mal war sie nach spätestens einem Monat zurückgekehrt.

यहाँ तक कि आश्रम के मंत्री ने अबकी बार उसे आश्रम से निकाल दिया था। तब से वह इसी मोहल्ले में एक कोठरी लेकर रहती थी और सारे मोहल्ले के शोहदों के लिए मनोरंजन का केंद्र बनी हुई थी।

Endlich hatte das Heim beschlossen, sie auszuweisen. Sie hatte nun im Mohalla ein Zimmer gemietet. Jetzt war sie ein Gegenstand des Vergnügens für die liebeshungrigen jungen Männer geworden.

मुझे गंगू की सरलता पर क्रोध भी आया और दया भी। इस गधे को सारी दुनिया में कोई स्त्री हीना मीलती थी, जो इससे विवाह करने जा रहा है। जब वह तीन बार पतियों के पास से भाग आई, तो इसके पास कितने दिन रहेंगी? कोई गांठ का पूरा आदमी होता, तो एक बात भी थी। शायद साल छह महीने टिक जाती। यहाँ तो निपट आंख का अंधा है। एक सप्ताह भी तो निबाह ना होगा।

Ich war gleichermaßen ärgerlich wie von Bedauern für Gangu erfüllt. Warum kann dieser Esel nicht eine andere Frau zum Heiraten finden? fragte ich mich. Wenn sie schon dreimal ihren Männern davongelaufen ist, wie lange wird sie bei Gangu bleiben ? Wenn er mehr Geld gehabt hätte, würde sie vielleicht sechs Monate mit ihm bleiben. Aber unter diesen Umständen war ich sicher, dass diese Ehe nicht länger als ein paar Tage dauern wird.

मैने चेतावनी के भाव से पूछा- तुम्हें इस स्त्री की जीवन कथा मालूम है?

“ Ist dir ihre Vergangenheit bekannt? ” fragte ich ihn.

गंगू ने आंखोंदेखी बात की तरह कहा- सब झूठ है सरकार, लोगों ने हक नाहक उसको बदनाम कर दिया है।

Das sind alles Lügen ”, sagte er mit großer Überzeugung. “Die Leute haben ihr wegen nichts und wieder nichts einen schlechten Ruf angehängt.”

‘ क्या कहते हो, तीन बार अपने पतियों के पास से नहीं भाग आई?’

„Was für ein Unsinn! ” sagte ich, “ kannst du leugnen, dass sie drei Männern davongelaufen ist? ”

‘ उन लोगों ने उसे निकाल दिया, तो क्या करती?’

“ Was hätte sie sonst tun können ? " erwiderte Gangu unerschüttert, " wenn diese Leute sie fortgejagt haben? ”

‘ कैसे बुद्धि आदमी हो कोई इतनी दूर से आकर विवाह करके ले जाता है कोमा हजारों रुपये खर्च करता है, इसलिए कि औरत को निकाल दें?’

“Was für ein Narr du bist!” sagte ich, “kannst du wirklich glauben, dass ein Mann alle die Anstrengungen auf sich nimmt, eine Frau zu heiraten, und tausend von Rupees für die Hochzeit ausgibt, nur um sie nach ein paar Tagen davonzujagen ? ”

गंगू ने भावुकता से कहा- जहाँ प्रेम नहीं है हुजूर, वहाँ कोई दूसरी नहीं रह सकतीं। स्त्री केवल रोटी कपडा ही नहीं चाहती, कुछ प्रेम भी तो चाहती है। वे लोग समझते होंगे कि हमने एक विधवा से विवाह करके उसके ऊपर कोई बहुत बड़ा एहसान किया है। चाहते होंगे कि तन मन से वह उनकी हो जाए, लेकिन दूसरों को अपना बनाने के लिए पहले आप उसका बन जाना पड़ता है हुजूर। यह बात है। फिर उसे एक बीमारी भी है। उसे कोई भूत लगा हुआ है। यह कभी कभी ब ख झ क करने लगती है और बेहोश हो जाती है।

Gangu antwortete mit Eifer: “Wo es keine Liebe gibt, kann man nicht erwarten, dass eine Frau ausharrt. Eine Frau will nicht bloß Behausung und Verpflegung. Diese Leute, die sie heirateten, glaubten, dass sie ihr eine große Gefälligkeit erwiesen, indem sie eine Witwe zur Frau nahmen. Sie waren überzeugt, dass sie alles für sie getan haben und dass sie ihnen nun mit Körper und Seele gehöre. Um jemanden zu gewinnen, muss man zuerst sich selbst vergessen. Außerdem ist sie krank, sie fängt an, Unsinn zu reden, und wird bewusstlos. Die Leute sagen, dass sie behext ist. Manchmal blinzelt sie und fällt in Ohnmacht.”

‘ और तुम ऐसी स्त्री से विवाह करोगे?’मैने संदिग्ध भाव से सिर हिलाकर कहा- समझ लो, जीवन करवा हो जाएगा।

“ Und willst du solch eine Frau heiraten? " fragte ich. “ Bist du dir nicht im Klaren, dass du damit nur Schwierigkeiten auf dich herabbeschwörst?"

गंगू ने शहीदों के से आवेश से कहा मैं तो समझता हूँ, मेरी ज़िंदगी बन जाएगी बाबूजी, आगे भगवान की मर्जी ।

Gangu entgegnete im Ton eines Märtyrers: “ Wenn Gott will, werde ich etwas aus ihr machen, wenn ich sie bekomme, und auch mein Leben wird besser."

गंगू ने शहीदों के से आवेश से कहा मैं तो समझता हूँ, मेरी ज़िंदगी बन जाएगी बाबूजी, आगे भगवान की मर्जी मैंने ज़ोर देकर पूछा - तो तुमने तय कर लिया है?

“ Dann hast du dich endgültig entschlossen?” erkundigte ich mich.

‘ हाँ, हुज़ूर।‘

“ Ja", antwortete er.

‘ तो मैं तुम्हारा इस्तीफा मंजूर करता हूँ।‘

“Schön ”, sagte ich, “ich nehme deine Kündigung an."

मैक्स लाइफ मैं निरर्थक रूढ़ियों और व्यर्थ के बंधनों का दास नहीं हूँ; लेकिन जो आदमी एक दुष्टा से विवाह करें, उसे मैं अपने यहाँ रखना वास्तव में जटिल समस्या समझता हूँ। आएदिन बखेड़े होंगे, नई नई उलझनें पैदा होगी, कभी पुलिस दौड लेकर आएगी, कभी मुकदमे खड़े होंगे। संभव है, चोरी की वारदातें भी हो।

Ich halte nichts von alten Gebräuchen und bedeutungslosen Traditionen. In diesem Fall hielt ich es für entschieden gefährlich, einen Mann im Haus zu behalten, der die Absicht hatte, eine Frau mit zweifelhaftem Ruf zu heiraten. Das kann zu allerlei Schwierigkeiten führen. Die Polizei kann kommen, man hat Ärger mit Diebstahl und Gerichtsverhandlungen.

इस दलदल से दूर रहना ही अच्छा है। गंगू सुधा- पीड़ित प्राणी की भाँति रोटी का टुकड़ा देखकर उसकी ओर लपक रहा है। रोटी जुटी है, सूखी हुई है, खाने योग्य नहीं है, इसकी उसे परवाह नहीं; उसको विचार बुद्धि से काम लेना कठिन था। मैनेउसे पृथक कर देने में ही अपनी कुशल समझी।

Besser, man vermeidet das alles. Wenn er diese Frau heiratete, handelte er meiner Meinung nach wie ein Verhungernder. Dass das Stück Brot trocken und geschmacklos war, war für ihn unwichtig. Ich hielt es für weise, mich fernzuhalten.

पांच महीने गुजर गए। गंगू ने गोमती से विवाह कर लिया था और उसी मोहल्ले में एक खपरैल का मकान लेकर रहता था। अब चाट काठेला लगाकर गुजर बसर करता था। मुझे जब कभी बाजार में मिल जाता, तो मैं उसका हालचाल पूछता। मुझे उसके जीवन से विशेष अनुराग हो गया था। जहाँ एक सामाजिक प्रश्न की परीक्षा थी- सामाजिक ही नहीं, मनोवैज्ञानिक भी।

Fünf Monate waren vergangen. Gangu hatte Gomathi geheiratet und lebte in demselben Mohalla in einer Hütte, die mit Blättern bedeckt war. Er verdiente sein Leben nun als Hausierer. Jedes Mal, wenn ich ihn unterwegs traf, erkundigte ich mich nach seinem Wohlergehen. Sein Leben war nun eine Sache, die mich sehr interessierte. Das war nicht nur ein gesellschaftliches, sondern auch ein psychologisches Experiment.

मैं देखना चाहता था, इसका परिणाम क्या होता है। मैं गंगू को सदैव प्रसन्न मुख देखता। समृद्धि और निश्चितता के मुख्य पर जो एक तेज और स्वभाव में जो एक आत्म सम्मान पैदा होता है, यह प्रत्यक्ष दिखाई देता था। रुपये 20 आने की रोज़ बिक्री हो जाती थी। इसमें लागत निकालकर 8-10 आने बच जाते थे। यही उनकी जीविका थी; किंतु इसमें किसी देवता का वरदान था; क्योंकि इस वर्ग के मनुष्यों में जो निर्लज्जता और विभिन्नता पाई जाती है, इसका वहाँ चिन्ह तक न था। उसके मुख पर आत्म विकास और आनंद की झलक थी, जो चित्त की शांति से ही आ सकती है।

Ich war neugierig zu erfahren, wie alles enden werde. Ich traf ihn stets glücklich an. Sein Gesicht hatte jenes Leuchten, das nur entsteht, wenn man überhaupt keine Sorgen hat. Er verdiente ungefähr eine Rupee am Tag. Wenn er davon seinen Warenvorrat gekauft hatte, blieben ihm gewöhnlich ungefähr zehn Annas . In diesen zehn Annas musste eine überirdische Kraft stecken, um ihm solch eine vollkommene Zufriedenheit zu verleihen.

एक दिन मैने सुना कि गोमती गंगू के घर से भाग गई है ।

Eines Tages hörte ich, dass Gomathi davongelaufen war.

कह नहीं सकता, क्यूँ? मुझे इस खबर से एक विचित्र आनंद हुआ।

Ich weiß nicht warum, aber es bereitete mir eine merkwürdige Genugtuung.

मुझे गंगू के संतुष्ट और सुखी जीवन पर एक प्रकार की ईर्षा होती थी।मैं उसके विषय में किसी अनिष्ट की, किसी घातक अनरथ कि, किसी लज्जास्पद घटना की प्रतीक्षा करता था। इस खबर से मुझे सांत्वना मिली। आखिर वही बात हुई, जिसका मुझे विश्वास था। आखिर बच्चा को अपनी अदूरदर्शिता का दण्ड भोगना पढा। अब देखें बच्चा कैसे मुँह दिखाता है।

Vielleicht war es deshalb, weil das Selbstvertrauen und die rasche Entschlusskraft Gangus mich stets mit Neid erfüllt hatten. Ich hatte erwartet, dass sich etwas Schändliches in Gangus Leben ereignen würde. Ich war nun glücklich, dass ich schließlich Recht behalten hatte.

अब आँखें खुलेंगी और मालुम होगा कि लोग, जो उन्हें इस विवाह से रोक रहे थे । उनके कैसे शुभचिन्तक थे । उस वक्त तो ऐसा मालुम होता था, मानो आपको कोई दुर्लभ पदार्थ मिला जा रहा हो । मानो मुक्ति का द्वार खुल गया है । लोगों ने कितना कहा कि यह स्त्री विश्वास के योग्य नहीं है, कितनों को दगा दे चुकी है, तुम्हारे साथ भी दगा करेगी ; लेकिन इसके कोनों पर जूँ तक न रेंगो । अब मिलें तो जरा उनका मिजाज पूछूँ । कहूँ -- क्यों महाराज, देवीजी का यह वरदान पाकर प्रसत्र हुए या नहीं ? तुम तो कहते थे, वह ऐसी है और वैसी है, लोग उस पर केवल दुर्भावना के काराण दोष आरोपित करते हैं । अब बतलाऔ, किसकी भूल थी ?

Er wird nun begreifen, dass jene Leute, die ihm von seiner Heirat mit Gomathi abgeraten hatten, ihm wirklich wohlgesinnt waren. Damals glaubte er, eine seltene Kostbarkeit zu gewinnen, ihm schien sich der Himmel zu öffnen. Alle Leute hatten ihm gesagt, dass man dieser Frau nicht trauen konnte. Welch ein Narr war er, dachte ich bei mir, zu glauben, dass es ein Glücksfall gewesen sei, Gomathi zu heiraten, und zu denken, dass er das Paradies auf Erden haben werde. Ich konnte es kaum erwarten, ihm wieder zu begegnen.

उसी दिन संयोगवश गंगू से बाजार में भेंट हो गई। घबराया हुआ था, बदहवाश था, बिल्कुल खोया हुआ। मुझे देखते ही उसकी आँखों में आंसू भर आए, लज्जा से नहीं व्यथा से। मेरे पास आकर बोला- बाबूजी, गोमती ने मेरे साथ विश्वासघात किया। मैने कुटिल आनंद से, लेकिन कृत्रिम सहानुभूति दिखाकर कहा- तुमसे तो मैने पहले ही कहा था; लेकिन तुम माने ही नहीं, अब सब्र करो। इसके सिवा और क्या उपाय है। रुपये पैसे ले गयी या कुछ छोड़ गईं?

Als ich ihn an diesem Nachmittag sah, machte er einen gebrochenen Eindruck. Als er mich erblickte, begann er zu weinen und sagte: “Babuji , Gomathi hat mich verlassen.” Ich entgegnete mit gespieltem Mitgefühl: “Ich habe dir von allem Anfang an gesagt, dass du dich von ihr fernhalten sollst, aber du hast nicht auf mich gehört. Hat sie auch deine Sachen mitgenommen?”

गंगू ने छाती पर हाथ रखा। ऐसा जान पड़ा, मानव मेरे इस प्रश्न ने उसकी हृदय को विदीर्ण कर दिया।

Gangu legte seine Hand aufs Herz, als hätte ich eine Gotteslästerung begangen, und sagte :

‘अरे बाबूजी, ऐसा न कहिए, उसने डेल की भी चीज़ नहीं छुई। अपना जो कुछ था कॉम वह भी छोड़ गयी। नजाने मुझ में क्या बुराइ देखी। मैं उसके योग्य न था और क्या कहूँ। वह पढ़ी लिखी थी, मैं करिया अक्षर भैस बराबर। मेरे साथ इतने दिन रही, यह बहुत था। कुछ दिन और उसके साथ रह जाता, तो आदमी बन जाता।

“Sagen Sie das nicht, Babuji, sie hat nichts mitgenommen. Auch ihre eigenen Sachen liegen noch da. Ich weiß nicht, welche Mängel sie bei mir entdeckte, dass sie sich entschlossen hat, fortzugehen. Sicher war ich für sie nicht gut genug. Sie ist gebildet, und ich bin vollkommen ungebildet. Obwohl ich nur kurz mit ihr gelebt habe, hat sie einen Mann aus mir gemacht.

उसका आपसे कहाँ तक बखान करो हुजूर। औरों के लिए चाहे वह कुछ और रही हो, मेरे लिए तो किसी देवता का आशीर्वाद थी। ना जाने मुझसे ऐसी क्या खतरा हो गई। मगर कसम ले लीजिए, जो उसके मुख पर मैल तक आया हो। मेरी क्या औकात ही क्या है बाबूजी, 10- 12 आने का मजदूर हूँ; पर इसी में उसके हाथों इतनी बरकत थी कि कभी कमी नहीं पड़ी।‘

Sie war für mich eine Göttin, aber nicht für andere Männer. Ich muss irgendwie einen Fehler begangen haben, dass sie beschloss, mich zu verlassen.”

मुझे इन शब्दों से घोर निराशा हुई। मैने समझा था, वह उसकी बेवफाई की कथा कहेगा और मैं उसकी अंधभक्ति पर कुछ सहानुभूति प्रकट करूँगा; मगर उस मूर्ख की आंखें अब तक नहीं खुली। अब भी उसी का मंत्र पढ़ रहा है। अवश्य ही इसका चित्त कुछ अव्यवस्थित है।

Gangus Worte enttäuschten mich sehr. Ich war darauf gefasst gewesen, dass er mir eine Geschichte von der Untreue Gomathis erzählen würde und dass ich dann Mitgefühl für ihn zeigen musste. Aber es schien, dass dieser Narr immer noch blind war.

मैने कुटिल परिहास आरंभ किया- तो तुम्हारे घर से कुछ नहीं ले गई?

Ich sagte halb im Scherz: “Sie hat also nichts aus dem Haus mitgenommen?”

‘ कुछ भी नहीं बाबूजी, ढेले की भी चीज़ नहीं।‘

“Nein, nicht das geringste”

‘ और तुम से प्रेम भी बहुत करती थी?’

“Und sie liebte dich sehr?”

‘अब आपसे क्या कहूं बाबूजी, प्रेम तो मरते दम तक याद रहेगा।‘’

“Was soll ich noch sagen, Babuji? Ich werde sie bis an meinen Tod nicht vergessen.”

‘फिर भी तुम्हें छोड़ कर चली गयी?’

“Und trotzdem entschloss sie sich, dich zu verlassen?"

‘यही तो आश्चर्य है बाबूजी’

“Das ist es, was mich wundert.”

‘उसका चरित्र कुछ अच्छा नहीं है?’

Dann geh doch und finde sie, wenn du noch an ihr hängst.”

‘ अरे बाबूजी, ऐसान कहिए। मेरी गर्दन पर कोई छुरी रख दे, तो भी मैं उसका यश नहीं गवाऊंगा।‘ ‘ तो फिर ढूँढो उसको;’ ‘ हाँ, मालिक। जब तक उसको ढूंढना लाऊंगा, मुझे चैन ना आएगा।

“Ja, Babuji, ich werde keine Ruhe haben, bis ich sie gefunden habe.

मुझे इतना मालूम हो जाए कि वह कहाँ है, फिर तो मैं उसे ले ही आऊंगा; और बाबूजी, मेरा दिल कहता है कि वह आएगी जरूर। देख लीजिएगा। वह मुझसे रूठकर नहीं गयी; लेकिन दिल नहीं मानता। जाता हूँ, महीने दो महीने जंगल, पहाड़ की धूल छानूगा। जीता रहा, तो फिर आपके दर्शन करूँगा।‘

Ich bin gewiss, dass sie zu mir zurückkommen wird. Ich muss gehen, sie zu suchen. Ich werde Sie besuchen, wenn ich mit ihr zurückkehre,”

यह कहकर वह उन्माद की दशा में एक तरफ चल दिया।

Mit diesen Worten entfernte er sich.

इसके बाद मुझे एक जरूरत से नैनीताल जाना पड़ा। घूमने के लिए नहीं। एक महीने के बाद लौटा, और भी कपड़े भी न उतारने पाया था कि देखता हूँ, गंगू एक नवजात शिशु को गोद में लिए खड़ा है। शायद कृष्ण को पाकर नन्द भी इतने पुल कितना हुए होंगे। मालूम होता था, उसके रोम रोम में आनंद फूटा पड़ता है। चेहरे और आँखों से प्रतियोगिता और श्रद्धा के राव से निकल रहे थे। कुछ वही भाव था जो किसी सुधा पीड़ित भिक्षु के चेहरे पर भरपेट भोजन करने के बाद नजर आता है।

Ich musste bald darauf nach Nainital fahren und kehrte erst nach einem Monat zurück. Ich hatte meine Kleider noch nicht abgelegt, als ich Gangu mit einem neugeborenen Kind sah. Er schien vor Freude zu bersten. Nanda konnte kein solches Glück empfunden haben, als ihm Krishna anvertraut wurde. Gangus Gesicht leuchtete wie das eines hungrigen Bettlers nach einem üppigen Mahl.

मैने पूछा- कहो महाराज, गोमती देवी का कुछ पता लगा, तुम तो बाहर गए थे?

Wieder fragte ich ihn im Scherz: “Hast du irgendwelche Nachrichten über Gomathi Devi?"

गंगू ने आपे में न समझते हुए जवाब दिया- हाँ बाबूजी, आपके आशीर्वाद से ढूँढ लाया। लखनऊ के जनाना अस्पताल में मिली।

Gangu sagte, vor Freude strahlend: “Ich habe sie endlich gefunden, Babuji; sie war in der Frauenklinik in Lucknow.

यहाँ एक सहेली से कह गई थी कि अगर वह बहुत घबराए तो बदला देना। मैं सुनते ही लखनऊ भागा और उसे घसीट लाया। घाटी में यह बच्चा भी मिल गया।

Sie hatte einer Freundin hier gesagt, dass sie mir ihren Aufenthaltsort nur mitteilen sollte, wenn ich sehr verzweifelt war. Sobald ich das gehört hatte, fuhr ich nach Lucknow und brachte sie zurück. Ich habe auch dieses Kind bekommen.”

उसने बच्चे को उठाकर मेरी तरफ बढ़ाया। मानों कोई खिलाड़ी तमगा पाकर दिखा रहा हो।

Er zeigte mir das Kind fast mit dem Stolz eines Athleten, der mit einer neugewonnenen Siegesmedaille prunkt. Ich war über seine Schamlosigkeit erstaunt. Er war noch erst sechs Monate mit Gomathi verheiratet, und trotzdem zeigte er das Kind mit grossem Stolz herum.

मैने उपहास के भाव से पूछा- अच्छा, यह लड़का भी मिल गया? शायद इसलिए वह यहाँ से भागी थी। है तुम्हारा ही लड़का?

Ich sagte höhnisch: “Ach, nun hast du auch einen Sohn bekommen. Vielleicht ist Gomathi deshalb davongelaufen. Bist du sicher, dass es dein Kind ist?”

‘ मेरा काहे को है बाबूजी, आपका हैं, भगवान का है।‘

“Warum mein, Babuji? Es ist von Gott.”

‘तो लखनऊ में पैदा हुआ?’

“Es wurde in Lucknow geboren, nicht wahr?”

‘ हाँ बाबूजी, अभी तो कुल एक महीने का है।‘

“Ja, Babuji, es ist einen Monat alt.”

‘ तुम्हारे विवाह हुए कितने दिन हुए?’

“Wie lange bist du nun verheiratet?”

‘ यह सातवाँ महीना जा रहा है।‘

“Das ist der siebente Monat.”

‘ तो शादी के छठे महीने पैदा हुआ?’

“Dieses Kind wurde also innerhalb von sechs Monaten nach deiner Hochzeit geboren?”

‘ और क्या बाबूजी।‘

“Ja, Babuji.”

‘ फिर भी तुम्हारा लड़का है?’ -- ‘ हाँ,’ जी।‘ -- ‘ कैसी बेसिर पैर की बात कर रहे हो?’

“Du bist wohl nicht bei Troste”, sagte ich. Ich war nicht ganz sicher, ob er, was ich andeuten wollte, nicht begriff oder ob er absichtlich nicht verstehen wollte.

मालूम नहीं, वह मेरा आशय समझ रहा था या बन रहा था। उसी निष्कपट भाव से बोला-

„Sie hatte eine schwere Zeit”, sagte Gangu im gleichen Tonfall.

मरते मरते बची, बाबूजी नया जन्म हुआ। तीन दिन, तीन रात छटपटाती रही। कुछ न पूछिए।

“Es ist beinahe ein neues Leben für sie, Babuji, drei Tage und Nächte lag sie in den Wehen. Oh, es war unerträglich.

मैने अब ज़रा व्यंग्य भाव से कहा -- लेकिन छह महीने में लड़का होते आज ही सुना।

” Ich unterbrach ihn: sechs Monate nach der Hochzeit geboren wird.”

यह चोट निशाने पर जा बैठी।

“Zum ersten Mal höre ich, dass ein Kind sechs Monate nach der Hochzeit geboren wird.”

मुस्कुरा कर बोला- अच्छा, वह बात; मुझे तो इसका ध्यान भी नहीं आया। इसी भय से तो गोमती भागी थी। मैने कहा- गोमती, अगर तुम्हारा मन मुझसे नहीं मिलता, तो तुम मुझे छोड़ दो। मैं अभी चला जाऊंगा और फिर कभी तुम्हारे पास ना आऊंगा। तुमको जब कुछ काम पड़े तो मुझे लिखना, मैं भरसक तुम्हारी मदद करूँगा। मुझे तुमसे कुछ मलाल नहीं है मेरी आँखों में तुम अब भी उतनी ही भली हो।

Dieses Problem überraschte Gangu nicht. Mit einem koboldartigen Lächeln sagte er: “Das hat mich niemals bekümmert. Vielleicht ist deshalb Gomathi fortgegangen. Ich sagte ihr aber, dass sie mich nur verlassen darf, wenn sie mich nicht mehr liebt, und dass ich sie nie mehr belästigen werde.

मैने तुमसे इसलिए विवाह नहीं किया कि तुम देवी हो; बल्कि इसलिए कि मैं तुम्हें चाहता था और सोचता था कि तुम भी मुझे चाहती हो। यह बच्चा मेरा बच्चा है। मेरा अपना बच्चा है। मैने एक बोया हुआ खेत लिया, तो क्या उसकी फसल को इसलिए छोड़ दूंगा कि उसे किसी दूसरे ने बोया था?

Darum, wenn sie mich liebt, darf dieses Kind uns nicht trennen. Ich werde es wie mein eigenes lieben. Man Wirft die Frucht nicht weg, wenn man einen Acker nimmt, auch wenn ein anderer gesät hat.”

यह कहकर उसने ज़ोर के ठहाका मारा।

Er ließ ein herzhaftes Lachen ertönen.

मैं कपड़े उतारना भूल गया। कह नहीं सकता, क्यों मेरी आँखें सजल हो गईं। न जाने वह कौन सी शक्ति थी, जिसने मेरी मनोगत घृणा को दबाकर मेरे हाथों को बढ़ा दिया। मैने उस निष्कलंक बालक को गोद में ले लिया और इतने प्यार से उसका चुंबन लिया कि शायद अपने बच्चों का भी ना लिया होगा।

Ich war von den Gefühlen Gangus tief berührt. Er kam mir wie ein großer Narr vor. Ich streckte meine Hände aus, nahm das Kind und küsste es.

गंगू बोला- बाबूजी, आप बड़े सज्जन है। मैं गोमती से बार बार आप का बखान किया करता हूँ। कहता हूँ, चल, एक बार उनके दर्शन करा; लेकिन मारे इलाज के आती ही नहीं।

Gangu sagte: “Babuji, Sie sind die Verkörperung von Güte. Ich spreche oft über Sie mit Gomathi. Ich habe sie oft gebeten zu kommen, um Sie zu treffen. Aber sie kommt nicht, weil sie sehr schüchtern ist.”

मैं और सज्जन; अपनी सज्जनता का पर्दा आज मेरी आँखों से हटा मैने भक्ति से डूबे हुए स्वर में कहा- नहीं जी,

Ich bin die Verkörperung von Güte ! Das ist falsch. Ich stehe beschämt vor Gangus Mut und Aufrichtigkeit.

मेरे जैसे कलुषित मनुष्य के पास वह क्या आएगी।

Meine Ansichten waren kleinbürgerlich, das verstehe ich heute.

तुम मुझे सज्जन समझते हो? मैं ऊपर से सज्जन हूँ; और यह बालक वह फूल है, जिससे तुम्हारी सज्जनता की महक निकल रही है।

“Du bist die Verkörperung von Güte”, sagte ich, “dieses Kind ist dafür ein Beweis.

मैं बच्चे को छाती से लगाए हुए गंगू के साथ चला।

Ich werde mit dir kommen, um Gomathi zu treffen.” Und wir beide gingen zu Gangus Haus.

Glossary

भंग - Bhang

Rauschgift

विधवा आश्रम - Witwenheim

Ein 'Ashram' für Witwen, das Wort wird in diesem Zusammenhang am besten mit dem 'Heim' übersetzt.

मोहल्ला - Mohalla

Geibiet, Nachbarshaft